इस दिन से कर सकेंगे श्रद्धालु रामलाल के दर्शन
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण एक ऐतिहासिक घटना है, जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह मंदिर हिंदू धर्म के सबसे पूजनीय देवताओं में से एक, भगवान राम को समर्पित है।
इस दिन से कर पाएंगे रामलाल के दर्शन
22 जनवरी 2023 को पीएम मोदी राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे. इसी दिन राम मंदिर निर्माण का फेज वन का काम पूरा हो जाएगा. उन्होंने बताया कि 23 जनवरी से आम जनता और श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए मंदिर खोल दिया जाएगा. एक दिन में 70 से 75 हजार लोग दर्शन कर सकेंगे.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
2019 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया। इस फैसले ने भारत में हिंदू राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा दिया।
निर्माण
अयोध्या राम मंदिर के निर्माण के लिए एक ट्रस्ट, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास, की स्थापना की गई थी। ट्रस्ट ने मंदिर के निर्माण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता आयोजित की, जिसे अंततः इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्चर, जोधपुर के एक समूह ने जीता।
मंदिर का निर्माण 5 अगस्त, 2020 को शुरू हुआ था। मंदिर का डिज़ाइन हिंदू वास्तुकला की परंपराओं पर आधारित है। मंदिर का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया जा रहा है।
मंदिर का डिज़ाइन
मंदिर का डिज़ाइन हिंदू वास्तुकला की परंपराओं पर आधारित है। मंदिर का आकार एक चतुरकोण है, जिसकी लंबाई और चौड़ाई 360 मीटर है। मंदिर की ऊंचाई 161 मीटर है।
मंदिर के चारों ओर एक परकोटा होगा, जिसकी लंबाई 1000 मीटर है। परकोटे के चारों कोनों पर चार मीनारें होंगी, जिनकी ऊंचाई 100 मीटर होगी।
मंदिर के अंदर एक गर्भगृह होगा, जहां भगवान राम की मूर्ति स्थापित की जाएगी। गर्भगृह के ऊपर एक शिखर होगा, जिसकी ऊंचाई 30 मीटर होगी।
निर्माण की प्रगति
22 जनवरी 2023 तक, मंदिर का निर्माण का फेज वन का काम पूरा हो जाएगा मंदिर के गर्भगृह की दीवारें पूरी हो चुकी हैं। मंदिर के पहले तल का निर्माण 22 जनवरी 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है।
इतिहास
राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, जो प्राचीन भारत की एक महत्वपूर्ण राजधानी थी। रामायण के अनुसार, राम को विष्णु का अवतार माना जाता है। उनकी कहानी हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण कहानियों में से एक है।
15वीं शताब्दी में, मुगल सम्राट बाबर ने राम जन्मभूमि पर एक मस्जिद, बाबरी मस्जिद का निर्माण किया। हिंदुओं का मानना है कि मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया था।
1850 के दशक में, अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद शुरू हुआ। यह विवाद कई दशकों तक चला और अंततः 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के साथ समाप्त हुआ। 2019 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया।
प्रतिक्रिया
अयोध्या राम मंदिर के निर्माण को पूरे भारत में हिंदुओं द्वारा स्वागत किया गया है। मंदिर के निर्माण को हिंदू राष्ट्रवाद की एक जीत के रूप में देखा जाता है।
मंदिर के निर्माण को कुछ लोगों ने भी आलोचना की है। कुछ लोगों का मानना है कि मंदिर का निर्माण सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देगा।
निष्कर्ष
अयोध्या राम मंदिर का निर्माण एक ऐतिहासिक घटना है, जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। मंदिर के निर्माण से हिंदू धर्म के प्रति लोगों की आस्था और विश्वास बढ़ने की उम्मीद है।